हर साल 17 सितंबर को भगवान विश्वकर्मा की पूजा की जाती है. इस दिन दिन लोग भगवान विश्वकर्मा की मूर्ति स्थापित करते हैं और उनकी विधि विधान से पूजा अर्चना करते है. लेकिन सवाल ये उठता है कि हर बार विश्वकर्मा पूजा का त्योहार 17 सितंबर को ही क्यों मनाया जाता है.
Vishwakarma jayanti date and time: हर साल की तरह इस साल भी विश्वकर्मा पूजा 17 सितंबर को मनाई जाएगी. भगवान विश्वकर्मा को दुनिया का सबसे पहला इंजीनियर और वास्तुकार माना जाता है. इसलिए इस दिन उद्योगों, फैक्ट्रियों और हर तरह के मशीन की पूजा की जाती है. हिंदू धर्म में हमेशा ही व्रत त्योहारों की तिथि में बदलाव होता रहता है. लेकिन विश्वकर्मा पूजा का त्योहार हर साल एक ही तिथि को मनाया जाता है. 17 सितंबर को ही विश्वकर्मा पूजा मनाने से जुड़ी कई मान्यताएं हैं.
17 सितंबर को क्यों मनाते हैं विश्वकर्मा पूजा?
हर साल 17 सितंबर को भगवान विश्वकर्मा की जयंती मनाई जाती है. कहा जाता है कि भगवान विश्वकर्मा का जन्म आश्विन कृष्ण पक्ष का प्रतिपदा तिथि को हुआ था वहीं कुछ लोगों का मानना है कि भाद्रपद की अंतिम तिथि को भगवान विश्वकर्मा की पूजा के लिए सबसे अच्छा होता है. वहीं जन्म तिथि से अलग एक ऐसी मान्यता निकली जिसमें विश्वकर्मा पूजा को सूर्य के पारगमन के अनुसार तय किया गया. यह दिन बाद में सूर्य संक्रांति के दिन रूप में मनाया जाने लगा. यह लगभग हर साल 17 सितंबर को ही पड़ता है इसलिए इसी दिन पूजा-पाठ की जाने लगी.
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परिचय
भारत में विभिन्न त्योहार और पूजा-पाठ के दिन होते हैं, जो न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक होते हैं, बल्कि हमारे सांस्कृतिक धरोहर को भी समृद्ध करते हैं। इन्हीं में से एक महत्वपूर्ण त्योहार है विश्वकर्मा पूजा। यह पूजा विशेष रूप से उन व्यक्तियों और समुदायों द्वारा मनाई जाती है जिनका काम निर्माण, निर्माण सामग्री और तकनीकी कार्यों से जुड़ा होता है।
विश्वकर्मा पूजा का महत्व
विश्वकर्मा पूजा, भगवान विश्वकर्मा की पूजा है, जो कि निर्माण, शिल्प और तकनीकी कार्यों के देवता माने जाते हैं। उन्हें वास्तुकला और निर्माण की कला में माहिर माना जाता है। उनका नाम संस्कृत शब्द ‘विष्णु’ और ‘कर्मा’ के संयोजन से आया है, जिसका अर्थ है ‘विष्णु का कर्म’।
भगवान विश्वकर्मा को कारीगरों, श्रमिकों, और उन सभी लोगों की पूजा की जाती है जिनका काम निर्माण और तकनीकी कार्यों से जुड़ा होता है। यह पूजा उन लोगों के लिए खास होती है जो निर्माण कार्य, इंटीरियर्स, मशीनरी और तकनीकी क्षेत्रों में कार्यरत हैं।
विश्वकर्मा पूजा की तिथि
विश्वकर्मा पूजा विशेष रूप से हर साल 17 सितंबर को मनाई जाती है, लेकिन यह तिथि हिंदू कैलेंडर के अनुसार बदल भी सकती है। यह दिन भाद्रपद मास की पूर्णिमा के आसपास आता है।
कैसे मनाएं विश्वकर्मा पूजा
- साफ-सफाई और सजावट: पूजा की शुरुआत से पहले, अपने कार्यस्थल या घर को अच्छे से साफ करें और सजाएं। यह मान्यता है कि स्वच्छता और सुंदरता से भगवान विश्वकर्मा की कृपा प्राप्त होती है।
- पुजा सामग्री: पूजा के लिए भगवान विश्वकर्मा की मूर्ति या चित्र, फूल, दीपक, अगरबत्ती, सिंदूर, और प्रसाद (जैसे मिठाई) की आवश्यकता होती है।
- आरती और पूजा: पूजा की शुरुआत में, भगवान विश्वकर्मा के चित्र या मूर्ति को सुंदर ढंग से सजाएं। फिर, उनके प्रति श्रद्धा व्यक्त करते हुए आरती करें। इसके बाद, पूजन सामग्री अर्पित करें और उनका आशीर्वाद प्राप्त करने की प्रार्थना करें।
- मशीनों की पूजा: यदि आप एक उद्योग या निर्माण कार्य में लगे हैं, तो अपनी मशीनों, उपकरणों और साधनों की पूजा करना न भूलें। इसे स्वच्छ करके और फूल अर्पित करके उनकी पूजा की जाती है।
- प्रसाद वितरण: पूजा के बाद, भगवान को अर्पित प्रसाद को परिवार के सदस्यों और कामकाजी साथियों में वितरित करें।
विश्वकर्मा पूजा केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं है, बल्कि यह हमारे कारीगरों और निर्माण कार्यों के महत्व को भी मान्यता देती है। यह दिन हमें याद दिलाता है कि प्रत्येक कार्य और प्रयास, चाहे वह कितना भी साधारण क्यों न हो, सम्मान और पूजा का पात्र है।
इस प्रकार, भगवान विश्वकर्मा की पूजा करके हम न केवल अपने काम में सफलता और समृद्धि की कामना करते हैं, बल्कि अपने पेशेवर क्षेत्र में भी एक नई ऊर्जा और उत्साह का संचार करते हैं।